विकास और प्लानिंग के मामले में अब प्रदेश की आगे ले जाने की है चाहत
आवाज डेली
दिल्ली । कश्मीर के एलजी के रूप में मनोज सिन्हा को दायित्य के पीछे प्रधानमंत्री की वह दूरगामी सोच है, जिसमें विकास और प्लानिंग के मामले में अब प्रदेश की आगे ले जाने की उनकी चाहत छिपी है ।
इसी में कभी अपने मंत्रिमंडल के साथी रहे बोल्ड और कुछ करने की क्षमता रखनेवाले मनोज सिन्हा को उन्होंने चुना । उस मनोज सिन्हा को जिन्हें देश की एक लीडिंग मैगजीन ने सबसे ईमानदार सांसद के ख़िताब से नवाजा था।
मैगजीन के मुताबिक, मनोज सिन्हा उन ईमानदार नेताओं में शुमार हैं, जिन्होंने अपने सांसद निधि का शत-प्रतिशत इस्तेमाल कर लोगों के विकास में लगाया था। साफ़-सुथरी छवि के मनोज सिन्हा का जन्म 1 जुलाई 1959 में उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के मोहनपुरा में हुआ।
उन्होंने गाजीपुर से ही अपनी स्कूली शिक्षा हासिल की और फिर बीएचयू स्थित आईआईटी से सिविल इंजीनियरिंग में बीटेक किया। इसके बाद उन्होंने एमटेक की डिग्री भी हासिल की। लोगों के सुख-दुख में शामिल होने वाले मनोज सिन्हा का रुझान छात्र जीवन से ही राजनीति की तरफ रहा. साल 1982 में मनोज सिन्हा बीएचयू छात्रसंघ के अध्यक्ष बने। इसके बाद से मनोज सिन्हा ने राजनीति में पीछे मुड़कर नहीं देखा. वर्ष 1996 में वह पहली बार गाजीपुर सीट से चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे।
साल 1999 में उन्हें फिर जीत हासिल हुई । इसके बाद वर्ष 2014 में मनोज सिन्हा तीसरी बार लोकसभा के लिए चुने गए और मोदी सरकार में रेल राज्य मंत्री बने। लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में वे ग़ाज़ीपुर से अपनी सीट पर चुनाव हार गए । अब उन्हे गिरीश चंद्र मुर्मू के इस्तीफे के बाद पीएम ने यह नया दायित्व सौंपा है, ताकि अपनी छवि और अपनी कार्यशैली की बदौलत राज्य को विकास के पथ पर ले जायें ।