रांची/ हज़ारीबागझारखंड की हेमंत सोरेन सरकार पर खतरा मंडरा रहा है। क्योंकि झारखंड के सियासत की हांडी में एकबार फिर पक रही खिचड़ी। खेला होबे- खेला होबे की चर्चा भी इसी के साथ चल पड़ी है। हेमंत सरकार को सबसे अधिक खतरा कांग्रेस से है, उनके सहारे पर टिकी सरकार के कई विधायक ही असंतुष्ट हैं। भले कांग्रेस के सहारे पर हेमंत सरकार चल रही हो पर कांग्रेस के किसी विधायक की नहीं चल रही है।
कांग्रेस कोटे पर जो मंत्री बने हैं, वे अपने ही विधायकों से दूर हैं। अभी कांग्रेस के मंत्री रामेश्वर उरांव की खूब चल रही है और इसे लेकर नाखुशी अधिक है। लामबंदी इसी को लेकर है और विरोध और असंतुष्टि की आंच आलाकमान तक पहुंच चुकी है। दरअसल हर विधायक के अपने हित और एजेंडे इस नाराजगी में छिपे हैं।
कोई मंत्रिमंडल विस्तार में मंत्री बनने की चाहत में है तो किसी को अन्य पद या लंबित पड़ा काम में सरकार की एनओसी चाहिये। ऐसी बात नहीं है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को इसका आभास नहीं है। तभी तो लंबित पड़े कई विवादास्पद मामलों को निबटाने की ओर उन्होंने कदम बढ़ा दिया है।
इसमे एक मामला पूर्व मंत्री योगेंद्र साव और उनकी पत्नी पूर्व विधायक निर्मला देवी का भी है, जो जिला बदर हैं। कई गाम्भीर आरोपों में दर्ज प्राथमिकी को वापस नहीं लेने को लेकर बताया जा रहा है कि उनकी पुत्री विधायक अंबा नाराज चल रही थी। इसी में सरकार स्तर पर मामले को पहले पेंडिंग में डाल दिया गया था, वहीं अब विधायक के मनोनुकूल कदम उठा लिये गए हैं। लेकिन पर्दे के पीछे असंतुष्ट पर भाजपा की नजर है और चुपके- चुपके दोनों ओर से सुगबुगाहट बनी हुई है। अब सवाल यह कि कोनो खेला होबे, यह बहुत कुछ पर आगे निर्भर करने वाला है।
