आवाज संवाददाता
हजारीबाग। नौकरी में रहते हुए जिस पुलिस अधिकारी ने विभाग को अहमियत दी उन्हीं के लिये विभाग अंजान बना हुआ है। अधिकारी से लेकर न्यायालय तक का दरवाजा खटखटाने के बाद विभाग का ध्यान उनकी ओर जा नहीं रहा है और दौ़Dते- दौ़Dते बुजूर्ग पुलिस अधिकारी पशान हो चुके हैं।
शहर के लोहसिंघना में रहनेवाले रिटायर्ड दारोगा गाजी सफदर हयात खान के साथ यह सबकुछ हो रहा है। पिदले दस सालों से वे विभाग की गल्तियों का खामियाजा bhuगत रहें हैं। उन्होंने बताया के 52 सालों तक ईमानदारी पूर्वक सेवा देने के बाद आज उनकी यह दशा है।
पैसे की उन्हें सख्त जरूरत है तो विभाग साथ नहीं है। बताया कि वे किडनी, हृदय रोग जैसी गंbheeर बीमारियों से जूझ रहें हैं। रिटायरमेंट की तारीख को लेकर विभाग की गलती के कारण सजा उन्हें मिल रही है।
हजारीबाग से रिटायरमेंट के बाद इस ग़adब़adee की वजह से दिसंबर 2007 से अप्रैल 2010 तक के bhaता और वेतन bhaत्तों को लेकर उच्च न्यायालय जाने के बाद उसके आए आदेश को यहां नहीं माना जा रहा है। 1968 में दरभंगा से पुलिस विभाग में सेवा देने के बाद दारोगा गाजी सफदर हयात छपरा] हजारीबाग] गया] बक्सर] चतरा] जमश्ोदपुर और हजारीबाग में अपनी सेवा देते हुए सेवानिवृत हुए थ्ो।