कोरोना टेस्ट कराने के नाम पर क्यों असहज हो जा रहें हैं लोग, पत्रकार तक सशंकित !
कोई पहुंच गया रांची, जबकि अधिकांश ने कह दिया बाद में कराऊंगा
आवाज डेली टीम
हजारीबाग। पत्रकारों को समाज का आइना कहा जाता है। लोग उन्हें देख- सुनकर भी बहुत कुछ समझने का प्रयास करते हैं। कोरोना टेस्ट को लेकर पत्रकारों के नजरिये को देख और उसका आकलन कर वे भी भ्रम में आ जा रहें हैं। उनके नजरिये से यह सही भी है, क्योंकि पत्रकारों के कोरोना टेस्ट के लिये जिला मुख्यालय के पत्रकारों को बार- बार कहने के बाद भी गिनती के पत्रकार अपना टेस्ट करा रहें हैं।
22 जुलाई को दुसरी दफा पत्रकारों के लिये डीसी भुवनेश प्रताप सिंह ने निःशुल्क कोविद जांच की व्यवस्था की घोषणा की थी, पर 5 -6 पत्रकार आये भी तो धीरे से घसक लिये। जिस कारण 200 की जांच के टारगेट के बीच डेढ़ सौ का ही सैंपल कलेक्शन हो पाया और ये सभी विभन्न सरकारी कार्यालयों के कर्मी थे। लौटने वाले पत्रकारों ने बताया कि true-net जांच हो रही है और वे लोग आरटीपीसीआर जांच कराना चाहते थे। बहरहाल जांच के नाम पर पत्रकार दूर भाग रहें हैं। दो कैंप में दर्जन भर ही जांच करायें हैं।
जबकि प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लोगों को मिला दें तो शहर में डेढ़ सौ से अधिक पत्रकार हैं। उस हिसाब से पंद्रह से बीस फीसदी से कम पत्रकारों ने अपनी जांच करायी। हाल यह रहा कि जांच वाले दिन कुछ पत्रकारों ने फ़ोन बंद कर लिया। कुछ घर में बंद हो गए।
वहीं एक पत्रकार जो लोगों को बाहर नहीं निकलने की बात कहते नहीं थक रहे थे, वे जनाब जांच होता रांची पहुँच गए। उनसे संपर्क करनेवालों को उन्होने बता दिया कि वे रांची में हैं। उन्हें मालुम था कि उनके कुछ साथी हर हाल में अपनी जांच कराने इस शिविर में जाने वाले हैं, सो वे पहले ही निकल लिये। इनके अलावे अन्य नहीं जाने वालों ने अपने नहीं जाने पर प्रतिक्रया दी कि अभी उन्हें कोई तकलीफ नहीं है, जरूरत महसूस होगी तो वे जांच करा लेंगे।