निर्देशक : मयंक शर्मा
कलाकार: अभिषेक बच्चन, अमित साध, नित्या मेनन, सैयामी खेर, हृषिकेश जोशी, श्रीकांत वर्मा, इवाना कौर, रेशम श्रीवर्धन, प्लाबिता बोरठाकुर, एन. रवि, श्रुति बापना, श्रद्धा कौल
स्टार- 2.5
करीब ढाई साल पहले आई अमेजन प्राइम की वेब सिरीज ‘ब्रीद’ ने हिंदी बेब सिरीज के बाजार को विस्तार देने में अहम भूमिका निभाई थी। ‘इनसाइड एज’ के बाद यह अमेजन प्राइम की दूसरी हिंदी वेब सिरीज थी। जाहिर है, इसके दूसरे सीजन को लेकर लोगों में उत्सुकता थी। दूसरे सीजन ‘ब्रीद इनटू द शैडोज’ से अभिषेक बच्चन ने ओटीटी पर आगाज किया है। इस वजह से भी लोग इसका इंतजार कर रहे थे।
पहले सीजन में कहानी थी एक पिता की, जो अपने बेटे को बचाने के लिए कुछ भी करने को तैयार है। इस बार कहानी है एक पिता और मां की, जो अपनी बेटी को बचाने के लिए हर हद पार कर जाते हैं। पहले सीजन में कहानी मुंबई की थी, इस बार दिल्ली की है। अविनाश सभरवाल (अभिषेक बच्चन) और आभा सभरवाल (नित्या मेनन) अपनी छह साल की बेटी सिया (इवाना कौर) के साथ अपनी दुनिया में बहुत खुश हैं। अविनाश एक प्रसिद्ध साइकेट्रिस्ट है और आभा शेफ। एक दिन अचानक सिया का अपहरण हो जाता है। उसके कुछ दिन पहले नोएडा की एक मेडिकल स्टूडेंट गायत्री (रेशम श्रीवर्धन) का भी अपहरण हो जाता है। दोनों का महीनों तक कोई सुराग नहीं मिलता। नौ महीने बाद किडनैपर का संदेश अविनाश के पास आता है कि उसे सिया जिंदा चाहिए, तो उसे किडनैपर का काम करना पड़ेगा। इसके बाद एक व्यक्ति की हत्या हो जाती है…
उधर, सीनियर इंस्पेक्टर कबीर सावंत (अमित साध) भी ट्रांसफर लेकर दिल्ली आ जाता है। उसके साथ सब-इंस्पेक्टर प्रकाश काम्बले (हृषिकेश जोशी) भी दिल्ली आ जाता है। कबीर को इस हत्या का केस सौंपा जाता है। हालांकि इस केस को दिल्ली क्राइम ब्रांच की तेजतर्रार सीनियर इंस्पेक्टर जेबा रिजवी (श्रद्धा कौल) लीड करना चाहती है, लेकिन कबीर को इंचार्ज बना दिया जाता है। इससे जेबा खुश नहीं है। इस केस में कबीर के साथ काम्बले और जय प्रकाश (श्रीकांत वर्मा) भी काम कर रहे हैं। इस बीच एक महिला की भी हत्या हो जाती है। अविनाश भी इस केस के साथ विशेषज्ञ के तौर पर जुड़ जाता है…
फिल्में हों, या टीवी शो या फिर वेब सिरीज, अगर इनकी दूसरी, तीसरी या और भी किश्ते आती हैं, तो उनकी तुलना पहले वाली किश्तों से होना लाजिमी है। अगर ‘ब्रीद’ के दूसरे सीजन की तुलना पहले से करें, तो यह वैसा प्रभाव नहीं छोड़ पाती। इसके दो प्रमुख कारण है। पहली, इसकी लंबाई और दूसरी इसकी गति। इसमें औसतन 45 मिनट के 12 एपिसोड हैं, जबकि पहले सीजन में 35 से 40 मिनट के आठ एपिसोड ही थे। पहले सीजन में रोमांच भरपूर था, लेकिन दूसरे सीजन में इसकी थोड़ी कमी है। पहले दृश्य में ऐसा प्रतीत होता है कि आगे रोमांच की खुराक भरपूर मिलेगी, पर जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है, सिरीज का कसाव ढीला होता जाता है।
अब बात दूसरी कमी की। एक साइको क्राइम थ्रिलर शो में सबसे अहम चीज होती है उसकी गति, पर ब्रीद के दूसरे सीजन की गति धीमी है। वैसे लंबी और धीमी होने के बावजूद यह उबाऊ नहीं है। छठे एपिसोड में ही हत्यारा दर्शकों के सामने आ जाता है, फिर भी कहानी आगे क्या आकार लेगी, यह जानने की उत्सुकता बनी रहती है। स्क्रिप्ट की डिटेलिंग बढ़िया है, पर किरदारों को और बढ़िया से गढ़ा जा सकता था। मयंक शर्मा का निर्देशन ठीक है, लेकिन पहले सीजन जैसा प्रभाव वह नहीं छोड़ पाते।
अभिषेक बच्चन ने डिजिटल प्लेटफॉर्म पर आगाज बढ़िया किया है। उनका अभिनय सधा हुआ है, हालांकि उनके किरदार को बहुत अच्छे से नहीं गढ़ा गया है। अमित साध ने एक बार फिर दमदार अभिनय किया है। अपराधबोध से ग्रस्त एक काबिल पुलिस वाले की भूमिका में वह प्रभावशाली लगे हैं। नित्या मेनन का अभिनय भी बढ़िया है। वह आत्मविश्वास से भरी नजर आती हैं। हृषिकेश जोशी भी असरदार हैं। श्रीकांत वर्मा की कॉमिक टाइमिंग अच्छी है। मेघना की भूमिका में प्लाबिता बोरठाकुर प्यारी लगी हैं। रेशम श्रीवर्धन का काम भी बढ़िया है। जेबा रिजवी ने अपने किरदार के साथ न्याय किया है। पा की भूमिका में एन. रवि और नताशा गरेवाल की भूमिका में श्रुति बापना का अभिनय उल्लेखनीय है। बाकी सारे कलाकारों ने भी अपने हिस्से का काम ठीक किया है। कुल मिलाकर इस सिरीज को देखने पर निराशा नहीं होगी।