“नदी से बालू के बहाव तेजी से बढ़ा तो अंदर में दबे हुए पत्थर बाहर आ गए । जिसमें अवशेष फंसे हुए दिख रहे हैं। अवशेष दबे होने की बात मिश्रौल के विवेक गुप्ता एवं संगम विहार ने आवाज संवाददाता को सूचना देकर बताया तथा अवशेष स्थल तक लेकर गए।”
विजय शर्मा /आलोक कुमार
टंडवा(आवाज): भारतीय सभ्यता का इतिहास काफी पुराना रहा है । इन्ही इतिहासों के पन्नो पर वर्तमान में प्रखंड क्षेत्र के मिसरोल पंचायत में स्थित नदी के बीचों-बीच पत्थर में कई दर्जन अलग-अलग आकर के मिट्टी के बर्तन जैसा दिखने वाले अवशेष पाया गया है।
उक्त अवशेषों को देखने मे ऐसा प्रतीत होता है कि अवशेष भूमि के अन्दर दबने के बाद कच्चा पत्थर (मटकोर) का निर्माण हुआ है। बनावट की दृष्टिकोण से देखा जाए तो अवशेष को बनाने वाले में काफी निपुणता रही होगी। आश्चर्य की बात यह है कि सभी अवशेष अन्दर दबे हुए थे ।
जब नदी से बालू के बहाव तेजी से बढ़ा तो अंदर में दबे हुए पत्थर बाहर आ गए । जिसमें अवशेष फंसे हुए दिख रहे हैं। अवशेष दबे होने की बात मिश्रौल के विवेक गुप्ता एवं संगम विहार ने आवाज संवाददाता को सूचना देकर बताया तथा अवशेष स्थल तक लेकर गए।
जानकारी देने वाले विवेक गुप्ता को बचपन से ही विज्ञान,भूगोल तथा पुरातात्विक अवशेषों पर विशेष रूचि रही है ।जिसका परिणाम रहा कि उनकी नजर विशेष रुप से अवशेष पर गई। उन्होंने बताया कि भारतीय पुरातात्विक विभाग को इस नदी के पत्थरों को खुदाई करके निरीक्षण करना चाहिए ।
ताकि पता लगाया जा सके कि पाया गया अवशेष कितनी पुरानी है और किस सभ्यता की है।