राजू यादव
टाटीझरिया (आवाज)। आजादी के सात दशक बाद आज भी ऐसी कई जगहें हैं, जहां मूलभूत सुविधाओं तक से लोग वंचित हैं। प्रखंड के नक्सल प्रभावित क्षेत्र आदिवासी टोला करम्बा और पूतो में आने-जाने के लिये कोई पक्की सड़क नहीं है। पीने के पानी की किल्लत है। बिजली अभी तक यहां नहीं पहुंच सकी है। भराजो पंचायत के करम्बा और खैरा पंचायत के पूतो आदिवासी टोले की गड्ढानुमा पगडंडियां, बरसात के दिनों में पैदल चलने लायक भी नहीं रह पातीं। इन दिनों में लगभग ढ़ाई-तीन सौ घरों वाला यह गांव महज टापू बना रह जाता है। इन दिनों कोई बीमार पड़ जाय तो उसे कंधों पर डोलियों में टांगकर लाद ले जाने के अलावा कोई चारा नहीं बचता। करम्बा निवासी शिकारी मांझी कहते हैं कि ‘हमनी के चापाकल चाही, रोड चाही, लाइन चाही नेता सब कुछो न करय हौ।’ इसने कहा कि गांव के बच्चे पढ़ने के लिए काफी दूर अमनारी और सिमराढाब जाते हैं। पूतो निवासी चंद्र किशकु ने कहा कि यहां कोई अधिकारी आते ही नहीं और हमलोग ब्लॉक जाते नहीं तो हमारी समस्या तो आप पत्रकार ही उजागर करें, ताकि हमारी समस्या का समाधान हो सके। न बिजली, न पानी और बदहाल सड़क, करम्बा और पूतो गांव की यही कहानी।